Electric Vehicles का काला सच

पिछले कुछ वर्षों में क्लाइमेट परिवर्तन से लड़ने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा गया है।

दुनिया भर की सरकारें भी EV को खूब बढ़ावा दे रही हैं। लेकिन क्या इलेक्ट्रिक वाहन वास्तव में पर्यावरण के अनुकूल हैं?

लेकिन, कई शोधों में इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में ऐसा काला सच सामने आया है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

IIT कानपुर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हैं।

IIT के अनुसार, इलेक्ट्रिक कारों को बनाने, चलाने और स्क्रैप करने में 15 से 50% अधिक ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं।

ईवी में बैटरियों को चार्ज करने के लिए बिजली की जरुरत होती है। जो कोयले से उत्पन्न होती है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड होता है।

इलेक्ट्रिक कारें सीधे तौर पर कार्बन उत्सर्जित नहीं कर सकती हैं, लेकिन बैटरियां भी वातावरण में हानिकारक गैसें उत्सर्जित करती हैं।

इन बैटरियों की पूर्ण रीसाइक्लिंग के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। इलेक्ट्रिक कारों की खराब बैटरियां धरती को प्रदूषित कर रही हैं।

इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरियों के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं, जो इंसानों के लिए घातक होती हैं।

बैटरियां जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन फ्लोराइड जैसी गैसें निकलती हैं, जो कई बीमारियों का कारण बनती हैं।